Sunday, March 8, 2015

नही बनना था मुझे यूँ देश की बेटी

नही बनना था मुझे यूँ देश की बेटी
मैं अपने माँ बाप की दुलारी अच्छी थी

तन को अपने निर्वस्त्र कराकर
लबो‍ की अपनी हँसी मिटाकर
नही बनना था मुझे देश की बेटी

चेहरे  को अपने यूँ  रुंदवाकर
इज़्ज़त अपनी छिनवाकर
नही बनना था मुझे देश की बेटी

खून से लतपत शरीर को सड़क पर फिकवाकर
आत्मा को अपनी छननी करवाकर
नही बनना था मुझे देश की बेटी

माँ बाप के दिये नाम को ' निर्भया ' बनाकर
अपने अस्तितव को यूँ मिटाकर
नही बनना था मुझे देश की बेटी

अब ना जलाओ मेरे नाम की मोमबत्तियाँ
मैं अपने माँ बाप के जीवन की ज्योति अच्छी थी
नही बनना था मुझे यूँ देश की बेटी
मैं अपने माँ बाप की दुलारी अच्छी थी

No comments:

Post a Comment